एकांत भी बहुत कुछ भी दे सकता है /
एकांत भी बहुत कुछ दे सकता है / रवि सिंह भारती
अपने भीतर के एकांत को साधे बिना इनसान , समाज के लिए कुछ नहीं कर सकता । भीतर से बाहर की यात्रा और बाहर से भीतर की यात्रा जीवन का एक चक्र है । इसके बिना मानव की मुक्ति नहीं । एकांत साधना साधक को ' स्व ' से ऊपर उठाकर ' पर ' से जोड़ती है और हमारे भीतर के भय को दूर करती है। एकांत कभी अभिशाप नहीं बन सकता है , बल्कि इसका वह उपयोग कर लेता है अपनी चेतना की गहराइयों में उतरने के लिए । संसार में ऐसा होता है कि हम दूसरों के साथ रहते - रहते आत्म - विस्मरण में खो जाते हैं , हमें आत्म - अनुभव नहीं हो पाता है और न ही हमें अपने व्यक्तित्व की मौलिकता का एहसास हो पाता है।हम समाज की सारी अपेक्षाओं को पूरा करते हुए एक झूठा व्यक्तित्व निर्मित कर लेते हैं , इसलिए यह कहा जा सकता है कि हम जिसे अपना व्यक्तित्व समझते हैं , वह दरअसल समाज का दिया हुआ व्यक्तित्व होता है । हम अच्छे हैं , बुरे हैं , सुंदर हैं , करुण हैं , नैतिक हैं , अनैतिक हैं , जो कुछ भी हैं , उसका निर्णय समाज की मान्यताओं और धारणाओं पर निर्भर करता है । यही हमारी मूल व्यथा है।हम हैं , लेकिन स्वयं की वास्तविकता से अनजान हैं , स्वयं से अनभिज्ञ हैं । यही हमारी मूल व्यथा है।हम हैं , लेकिन स्वयं की वास्तविकता से अनजान हैं , स्वयं से अनभिज्ञ हैं , इसलिए प्रत्येक धर्म कहता है कि निर्जन में , एकांत में जाओ , ताकि कुछ समय के लिए समाज और उसका दिया हुआ सब कुछ पीछे छोड़कर अपना साक्षात्कार कर सको ।
#ravisinghbharati
#rs7632647
जवाब देंहटाएंएकान्त की महत्ता से सहमत हैं. पाने के लिये वन या निर्जन जाने से नहीं.
अवधू भूले को घर लावे, सो जन हमको भावे l
घर में जोग भोग घर ही में, घर तजी वन नहीं जावे l
कविर.
जवाब देंहटाएंमैं भी कोई साधक नहीं, एक साधारण गृहस्थ हूँ.
और रोज घर ही में कुछ समय के लिए एकांत में जाता हूँ. मैं ने अपना अनुभव शेयर किया है, किसी को भी, किसी भी रूप में आहत के लिए नहीं. 👍
जी सर बहुत सही बात कहा आपने आपका स्वाग
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