दोस्ती वह रिश्ता है जो आप खुद तय करते हैं,
दोस्ती वह रिश्ता है जो आप खुद तय करते हैं, जबकि बाकी सारे रिश्ते आपको बने-बनाए मिलते हैं। जरा सोचिए कि एक दिन अगर आप अपने दोस्तों से नहीं मिलते हैं, तो कितने बेचैन हो जाते हैं और मौका मिलते ही उसकी खैरियत जानने की कोशिश करते हैं। आप समझ सकते हैं कि यह रिश्ता कितना खास है। आज जिस तकनीकी युग में हम जी रहे हैं, उसने लोगों को एक-दूसरे से काफी करीब ला दिया है लेकिन साथ-ही-साथ इसी तकनीक ने हमसे सुकून का वह समय छीन लिया है जो हम आपस में बांट सकें। आज हमने पूरी दुनिया को तो मुट्ठी में कैद कर लिया है, लेकिन इसके साथ ही हम खुद में इतने मशगूल हो गये हैं कि एक तरह से सारी दुनिया से कट से गये हैं।
एमर्सन ने कहा है कि अच्छा मित्र प्राप्त करने से पहले अच्छा मित्र बनना आवश्यक है। मित्रता की इस भावना को बल देने के लिये मिलना आवश्यक है, क्योंकि यह आपके रिश्ते को मजबूत बनाता है । हमारा संकल्प, हमारी जिजीविषा, हमारी संवेदना लेकिन उसके लिये चाहिए समर्पण एवं अपनत्व की गर्माहट। यह जीना सिखाता है, जीवन को रंग-बिरंगी शक्ल देता है। प्रेरणा देता है कि ऐसे जिओ कि खुद के पार चले जाओ। ऐसा कर सके तो हर अहसास, हर कदम और हर लम्हा खूबसूरत होगा और साथ-साथ सुन्दर हो जायेगी जिन्दगी। सुकरात ने कहा है कि मित्रता करने में धीमे रहें लेकिन एक बार जब मित्रता हो जाये तो दृढ़ और सतत बने रहे।
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