गजल/ वो मुझे रोज बेवफाई के किस्से सुनाया करता था
वो मुझे रोज बेवफाई के किस्से सुनाया करता था
महबूब की गलियों का रास्ता बताया करता था।।
कुछ इस तरह का था मेरा हर-दिल-अज़ीज़ दोस्त
जो अपनी मौत से पहले मुझे रुलाया करता था।।
उसके सिवा नहीं था मेरा कोई अपना इस जहां में
जो बिना रूठे ही मुझे हर बार मनाया करता था।।
ना जाने किसकी नजर लग गई हमारी दोस्ती को
न जाने क्यों दूर से ही वह हाथ हिलाया करता था।।
आखरी बार उससे गले अभिनय के वक्त मिले थे
वो पहले से ही मैत की झांकी दिखाया करता था।।
ऐ मेरे दोस्त तुमसे फिर मिलेंगे यूं ही किसी मोड़ पर
इसी बहाने मुझे अपनी कब्र पर बुलाया करता था।।
------------ Ravi Singh Bharati ------------
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