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क्योंकि मैंने ईश्वर के चरण स्पर्श किए हैं------------

 क्योंकि मैंने ईश्वर के चरण स्पर्श किए हैं------------                              #स्वामी_विवेकानंद एक दिन एक अंग्रेज मित्र तथा कु. मूलर के साथ वे किसी मैदान में टहल रहे थे। उसी समय एक पागल सांड तेजी से उनकी ओर बढ़ने लगा। अंग्रेज सज्जन अपनी जान बचाने को जल्दी से भागकर पहाड़ी के दूसरी छोर पर जा खड़े हुए। कु. मूलर भी जितना हो सका दौड़ी और फिर घबराकर भूमि पर गिर पड़ीं। स्वामी जी ने यह सब देखा और उन्हें सहायता पहुंचाने का कोई और उपाय न देखकर वे सांड के सामने खड़े हो गए और सोचने लगे- 'चलो, अंत आ ही पहुंचा। बाद में उन्होंने बताया था कि उस समय उनका मन हिसाब करने में लगा हुआ था कि सांड उन्हें कितनी दूर फेंकेगा। परंतु कुछ कदम बढ़ने के बाद ही वह ठहर गया और अचानक ही अपना सिर उठाकर पीछे हटने लगा। स्वामी जी को पशु के समक्ष छोड़कर अपने कायरतापूर्ण पलायन पर वे अंग्रेज बड़े लज्जित हुए। कु. मूलर ने पूछा कि वे ऐसी खतरनाक परिस्थिति से सामना करने का साहस कैसे जुटा सके। स्वामी जी ने पत्थर के दो टुकड़े उठाकर उन्हें आपस में टकराते हुए कहा कि खतरे और मृत्यु के समक्ष वे अपने को चकमक पत्थर के समान सबल महस

भगत सिंह का अपने बचपन के दोस्त जयदेव गुप्ता को लाहौर जेल से लिखा पत्र------------

 भगत सिंह का अपने बचपन के दोस्त जयदेव गुप्ता को लाहौर जेल से लिखा पत्र------------ हमें मुलाक़ात का मौका मिलेगा या नहीं !                                          सेंट्रल जेल,लाहौर                                             3 जून , 1930 मेरे प्रिय जयदेव ,  'विक्ट्री ' जूते और ' क्विक ' दवात भेजने के लिए मेरी ओर से धन्यवाद स्वीकारो ! आपके शब्दानुसार जैसा कि कुलवीर ने कहा है , मैं यह ख़त कुछ अन्य चीजें मंगवाने के लिए लिख रहा हूं । आपका बहुत धन्यवाद होगा अगर आप एक दूसरा जोड़ा कपड़ा के जूते श्री दत्त के लिए भेज सको , लेकिन दुकानदार से उन्हें पूरा न आने की स्थिति में वापसी की शर्त से लें । मैं इस बारे में अपने पहले ख़त में ही लिख सकता था , लेकिन उस सयम श्री दत्त अच्छे मूड में नहीं थे । मगर मेरे लिए यह बहुत कठिन बात है कि मैं अकेला ही इन जूतों को पहनूं । मैं उम्मीद करता हूं कि अगली मुलाक़ात के समय जूतों का एक और जोड़ा यहां पड़ा होगा ।  कृपया 34 नंबर छती की सफ़ेद शेक्सपीयर कालरवाली आधी आस्तीनवाली खेल शर्ट भेजना । यह भी श्री दत्त के लिए चाहिए । यह न सोचना कि जेल में होते हुए भ

दोस्ती वह रिश्ता है जो आप खुद तय करते हैं,

 दोस्ती वह रिश्ता है जो आप खुद तय करते हैं, जबकि बाकी सारे रिश्ते आपको बने-बनाए मिलते हैं। जरा सोचिए कि एक दिन अगर आप अपने दोस्तों से नहीं मिलते हैं, तो कितने बेचैन हो जाते हैं और मौका मिलते ही उसकी खैरियत जानने की कोशिश करते हैं। आप समझ सकते हैं कि यह रिश्ता कितना खास है। आज जिस तकनीकी युग में हम जी रहे हैं, उसने लोगों को एक-दूसरे से काफी करीब ला दिया है लेकिन साथ-ही-साथ इसी तकनीक ने हमसे सुकून का वह समय छीन लिया है जो हम आपस में बांट सकें। आज हमने पूरी दुनिया को तो मुट्ठी में कैद कर लिया है, लेकिन इसके साथ ही हम खुद में इतने मशगूल हो गये हैं कि एक तरह से सारी दुनिया से कट से गये हैं।  एमर्सन ने कहा है कि अच्छा मित्र प्राप्त करने से पहले अच्छा मित्र बनना आवश्यक है। मित्रता की इस भावना को बल देने के लिये मिलना  आवश्यक है, क्योंकि  यह आपके रिश्ते को मजबूत बनाता है । हमारा संकल्प, हमारी जिजीविषा, हमारी संवेदना लेकिन उसके लिये चाहिए समर्पण एवं अपनत्व की गर्माहट। यह जीना सिखाता है, जीवन को रंग-बिरंगी शक्ल देता है। प्रेरणा देता है कि ऐसे जिओ कि खुद के पार चले जाओ। ऐसा कर सके तो हर अहसास, हर

सआदत हसन मंटो: औरत-मर्द के रिश्तो के मनोविज्ञान को समझने वाला लेखक-----------------

मौजूदा दौर में जब अब स्त्रीवादी लेखन और विचार के कई नए आयाम सामने आ रहे हैं तब मंटो की उन औरतों की खूब याद आ रही है और इसी बहाने मंटो की भी. लेकिन इसके बावजूद मंटो की औरतों को किसी खांचे में फिट करना मुश्किल होगा. अपनी कहानी की औरतों के बारे में खुद मंटो कहते हैं, ‘मेरे पड़ोस में अगर कोई महिला हर दिन अपने पति से मार खाती है और फिर उसके जूते साफ करती है तो मेरे दिल में उसके लिए जरा भी हमदर्दी पैदा नहीं होती. लेकिन जब मेरे पड़ोस में कोई महिला अपने पति से लड़कर और आत्महत्या की धमकी दे कर सिनेमा देखने चली जाती है और पति को दो घंटे परेशानी में देखता हूं तो मुझे हमदर्दी होती है.’ मंटो जिस बारीकी के साथ औरत-मर्द के रिश्ते के मनोविज्ञान को समझते थे उससे लगता था कि उनके अंदर एक मर्द के साथ एक औरत भी ज़िंदा है. उनकी कहानियां जुगुप्साएं पैदा करती हैं और अंत में एक करारा तमाचा मारती है और फिर आप पानी-पानी हो जाते हैं. उनकी एक कहानी है ‘मोज़ील’. यह एक यहूदी औरत (मोज़ील) की कहानी है. उसके पड़ोस में रहने वाले एक सिख आदमी त्रिलोचन को उससे मोहब्बत हो जाती है. वो उससे शादी करना चाहता है लेकिन वो यहूदी औ

गजल/ आप मुझ पर बस इतना ही एहसान कीजिए

 आप मुझ  पर बस इतना ही एहसान कीजिए।  मुझसे जब भी नजर मिलाइए गुमान कीजिए।। आपसे ज्यादा खूबसूरत जहां में खुदा भी नहीं। खुदा से मिलकर इस बात का ऐलान कीजिए।। मैं आपके दुश्मनों या दोस्तों  में हूं मालूम नहीं। जरा करीब आइए और मेरी पहचान कीजिए।। ख्वाबों में आकर मुझे रात भर जगाना छोड़िए। इस तरह से मुझे रोज-रोज न परेशान कीजिए।। आपकी याद में आहिस्ता-आहिस्ता मर रहा हूं। साथ मिलकर मौत को थोड़ा आसान कीजिए।।   ------------- Ravi Singh Bharati ------------- #ravisinghbharati  #rs7632647  #ghazal  #देवदास  #onesidedlove
 वो मुझे रोज बेवफाई के किस्से सुनाया करता था महबूब की गलियों का रास्ता बताया करता था।। कुछ इस तरह का था मेरा हर-दिल-अज़ीज़ दोस्त जो अपनी मौत से पहले मुझे रुलाया करता था।। उसके सिवा नहीं था मेरा कोई अपना इस जहां में  जो बिना रूठे ही मुझे हर बार मनाया करता था।। ना जाने किसकी नजर लग गई हमारी दोस्ती को न जाने क्यों दूर से ही वह हाथ हिलाया करता था।। आखरी बार उससे गले अभिनय के वक्त मिले थे वो पहले से ही मैत की झांकी दिखाया करता था।। ऐ मेरे दोस्त तुमसे फिर मिलेंगे यूं ही किसी मोड़ पर इसी बहाने मुझे अपनी कब्र पर बुलाया करता था।।                         ------------ Ravi Singh Bharati ------------ #ravisinghbharati  #rs7632647  #onesidedlove

गजल/ वो मुझे रोज बेवफाई के किस्से सुनाया करता था

वो मुझे रोज बेवफाई के किस्से सुनाया करता था महबूब की गलियों का रास्ता बताया करता था।। कुछ इस तरह का था मेरा हर-दिल-अज़ीज़ दोस्त जो अपनी मौत से पहले मुझे रुलाया करता था।। उसके सिवा नहीं था मेरा कोई अपना इस जहां में  जो बिना रूठे ही मुझे हर बार मनाया करता था।। ना जाने किसकी नजर लग गई हमारी दोस्ती को न जाने क्यों दूर से ही वह हाथ हिलाया करता था।। आखरी बार उससे गले अभिनय के वक्त मिले थे वो पहले से ही मैत की झांकी दिखाया करता था।। ऐ मेरे दोस्त तुमसे फिर मिलेंगे यूं ही किसी मोड़ पर इसी बहाने मुझे अपनी कब्र पर बुलाया करता था।।                         ------------ Ravi Singh Bharati ------------ #ravisinghbharati  #rs7632647  #onesidedlove